Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 14:12

437 / हीर / वारिस शाह

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:12, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वारिस शाह |अनुवादक= |संग्रह=हीर / व...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मीट अखियां रखियां बंदगी ते घते जालयां चिले विच हो रहया
करे आजजी<ref>लाचारी</ref> विच मराकबे<ref>समाधि</ref> दे दिन रात खुदा ते हो रहया
विच याद खुदा दे महव रहिंदा कदे बैठ रहया कदे सो रहया
वारस शाह न फिकर कर मुशकलां दा जो कुझ होवना सी सो कुझ हो रहया

शब्दार्थ
<references/>