Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 17:25

उपाय / खुशीलाल मंजर

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:25, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=खुशीलाल मंजर |अनुवादक= |संग्रह=पछ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आय-
जत्तऽ तोहें परेसान छऽ
होतऽ हम्मू परेसान छी
अन्तर खोली हेननै टारऽ छै
कि-
तोंहे आदमी केॅ मारै लेली परेसान छऽ
आरो हम्में
तोहें आदमी केॅ जिलाय लेली
जों-,कुच्छू सच छै
तेॅ योहू भी एक सच छेकै
कि आय-,
तोरऽ गोड़ऽ रऽ मोल
बड्डी बढ़ी गेलऽ छौं
आरो-,
यहेॅ कारन छै
कि तोरऽ गोड़
जहाँ भी जाय छों
वहाँ पादमी रऽ
गरदन कटै छै
देखऽ नीं
आय मुरदघट्टी सें
एक लहास लौटी केॅ ऐलऽ छै
आरो वें कहै छै
कि वहाँ भी
लहासऽ रऽ बड़ी भीड़ छै
है कहिनै नीं हुवेॅ
कि हमरा
हौ महासय नद्दी रऽ किनारा में
जे पीपरऽ रऽ गाछ छै
होकरा फेंड़ी पर राखी देलऽ जाय
जेनां कि
भगवान कृस्न ने
बरबरीक रऽ गरदन काटी केॅ
बरऽ रऽ फेड़ी पर
राखी देलेॅ छेलै