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अषाढ़ रोॅ बदरी / राजकुमार

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कैहिनोॅ उमड़ै अषाढ़ रोॅ बदरी
खीर-पूड़ी लेल्हें अदरा अँजुरी
खेत पानी सें गंजैलोॅ-पुरलोॅ
कहीं फुजलोॅ कहीं गजुरी-गजुरी

छै घटा सें धरा-गगन घिरलोॅ
झोॅर पुरबा रोॅ चुआबै अगरी

भिजलोॅ-तितलोॅ अकाश मन पाखी
पंख ओढ़ी लहर-लहर लहरी

छै लहर दर लहर ठनक ठनका
मुँह पानी में निहारै बिजुरी

कहीं रौदा कहीं बुन्दा-बान्दी
कहीं बारिस सें छै विकल डगरी

भेलोॅ जोगिन फुरै छै भगजोगनी
‘राज’ पिपरी भी सजाबै गगरी