Last modified on 5 अप्रैल 2017, at 17:49

सन्न छै अकास / राजकुमार

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 5 अप्रैल 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राजकुमार |अनुवादक= |संग्रह=टेसू क...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सन्न छै अकास, आस-पास पानी-पानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

मोॅन के ओसारा पर, आँखी के तारा पर
मेहोॅ के नेहोॅ में, नद्दी के धारा पर
लीखै छी कागद रोॅ नाव के कहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

मरुवैलोॅ पत्ता छै, धूप-धूप कत्ता छै
पनहतलोॅ भातोॅ पर, रात अमर लत्ता छै
बाया रोॅ पखना पर, पीर रोॅ पिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

टिटही टौवाबै छै, झिंगुर नै गाबै छै
पपिहा रोॅ दादुर रोॅ, कंठ घरघराबै छै
दहलोॅ छै कहीं कहीं, दरकलो टेकानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी

उम्मस छै उमतैलोॅ, खाली-खाली पैलोॅ
पीरोॅ-पीरोॅ धरती, घैलोॅ छै अलगैलोॅ
ऐतोॅ पाबस हमरोॅ, पंख पर बिहानी
सखी हे, काटै छी रात कानी-कानी