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अनुगीत-2 / राजकुमार

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छै हवा में जहर-जहर हुनकोॅ
आग उगलै छै हर बहर हुनकोॅ
मस्तमौला हुनी छै पीबी केॅ
आदमी पर छै बस कहर हुनकोॅ

बोच लागै छै कोय पानी रोॅ
भेलोॅ धामिन फुरै नजर हुनकोॅ

नींन कइनें हराम छै घाती
गेंहुवन मन लहर-लहर हुनकोॅ
भोर में भी अन्हार घर हुनकोॅ

हाल जानै छैं ‘राज’ खुद केॅ हुनी
सिंहरूढ़ा शिवा असर हुनका