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तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास / येहूदा आमिखाई

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तीस सेंटीमीटर था बम का व्यास
और इसका प्रभाव पड़ता था सात मीटर तक
चार लोग मारे गए, ग्यारह घायल हुए
इनके चारों तरफ एक और बड़ा घेरा है -- दर्द और समय का
दो हस्पताल और एक कब्रिस्तान तबाह हुए
लेकिन वह जवान औरत जो दफ़नाई गई शहर में
वह रहने वाली थी सौ किलोमीटर से आगे कहीं की
वह बना देती है घेरे को और भी बड़ा
और वह अकेला शख़्स जो समुन्दर पास किसी देश के सुदूर किनारों पर
उसकी मृत्यु का शोक कर रहा था --
समूचे संसार को ले लेता है इस घेरे में

और मैं अनाथ बच्चों के उस रुदन का ज़िक्र तक नहीं करूँगा
जो पहुँचता है ऊपर ईश्वर के सिंहासन तक
और उससे भी आगे
जो एक
घेरा बनाता है
बिना अंत और बिना ईश्वर का।