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विश्वास / दिनेश जुगरान

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ले लो तुम
मेरा पूरा अतीत
उसकी लाल धूप
प्रार्थनाओं में गूंजता
एकाकी स्वर
पराजित कोने
विभाजित व्यक्तित्व
खौफनाक सपनों के युद्ध
और दे दो
बदले में अपना विश्वास

दिनचर्या का विश्वास नहीं
जो कहता है
यदि तुम मेरे हो
तो मैं तुम्हारा

मुझे चाहिए विश्वास
जो चमकता हो माथे पर
सूरज की तरह

विश्वास जो विदा और प्रतीक्षा के
क्षणों में
रहे आकाश की तरह
स्थिर

विश्वास जो महकता है
उन फूलों की तरह
जो बग़ीचों में नहीं उगते

मुझे नहीं चाहिए
पलकें झपका कर अभिव्यक्त
रोज़ाना का
आश्वासन

मुझे चाहिए
तुम्हारे अंदर की
धरती से उपजी ऊर्जा से
भरा विश्वास
जो करे मुझे
स्वतन्त्र
उन्मुक्त ओर स्वच्छन्द!