जन्म | |
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उपनाम | मलरिहा |
जन्म स्थान | मल्हार, बिलासपुर, छत्तीसगढ़ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मिलन मलरिहा / परिचय |
छतीसगढ़ी रचनाएँ
मलरिहा के छत्तीसगढ़ी **कुण्डलिया** """""""""""""""""""""""""""""""""""""" - नोनी बाबू एक हे, झिन कर संगी भेद ! रुढ़ीवादी बिचार ला, लउहा तैहा खेद !! लउहा तैहा खेद, समाज म सुधार आही! पढ़ही बेटी एक, दूइ घर सिक्छा लाही !! मान मिलनके गोठ, भ्रुणहत्या कर काबू ! भेज दुनो ल एकसंग, इसकुल नोनी बाबू!! - पुस्तक डरेस लानदे, बिसादे अउ सिलेट ! बरतन चउका झिनकरा, पढ़ाई ल झिन मेट !! पढ़ाई ल झिन मेट, सिक्छा के अधिकार दे! बेटी बने पढ़ाव, अउ चरित सन्सकार दे !! आही सिक्छा काम, दुख-दरद देही दस्तक ! मनुस छोड़थे संग, फेर नइछोड़य पुस्तक !! - बेटी पढ़के बाँटही, गांव गांव म गियान ! परकेधन झिन मान रे, इही देस के जान !! इही देस के जान, पढ़लिख नवाजुग लाही ! रुकही अतियाचार, कुकरमी दूर हटाही !! मलरिहा कहत रोज, पुस्तक धरादे बेटी ! अबतो जाग समाज, सिक्छित बनादे बेटी !! - कहाँले बहूँ लानबो, परगे हवय अकाल । बेटा बेटा सब गुनय, इही जगत के हाल ।। इही जगत के हाल, कोख भितरी मरवाथे । गुनले अपन बिचार, बेटी रोटी खवाथे ।। कहत मलरिहा गोठ , खुदके माथा घुसाले । छोड़ देहि सनसार, दाई पाबे कहाँले ।। - नोनी बहनी नोहय ग, ए जिनगी के बोझ । टूरा होथे मनचला, कोनो रहिथे सोझ ।। कोनो रहिथे सोझ, दाई - ददा ल सताथे । काम बुता ढेचराय , मुड़ी धरके रोवाथे ।। मलरिहा कहत गोठ, कानले निकाल पोनी । कब समझबे मनूस, भविस्य हमर हे नोनी ।।
मिलन मलरिहा मल्हार बिलासपुर