निशा निमन्त्रण
रचनाकार | हरिवंशराय बच्चन |
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प्रकाशक | राजपाल एंड सन्ज |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | रुबाईयाँ |
पृष्ठ | 128 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- दिन जल्दी जल्दी ढलता है / हरिवंशराय बच्चन
- संध्या सिंदूर लुटाती है / हरिवंशराय बच्चन
- बीत चली संध्या की वेला / हरिवंशराय बच्चन
- तुम तूफ़ान समझ पाओगे? / हरिवंशराय बच्चन
- है यह पतझर की शाम,सखे! / हरिवंशराय बच्चन
- कहते हैं, तारे गाते हैं / हरिवंशराय बच्चन
- साथी, सो न, कर कुछ बात / हरिवंशराय बच्चन
- यह पपीहे की रटन है / हरिवंशराय बच्चन
- रात आधी हो गई है / हरिवंशराय बच्चन
- दस / हरिवंशराय बच्चन
- ग्यारह / हरिवंशराय बच्चन
- बारह / हरिवंशराय बच्चन
- तेरह / हरिवंशराय बच्चन
- चौदह / हरिवंशराय बच्चन
- पंद्रह / हरिवंशराय बच्चन
- सोलह / हरिवंशराय बच्चन
- सत्रह / हरिवंशराय बच्चन
- अट्ठारह / हरिवंशराय बच्चन
- उन्नीस / हरिवंशराय बच्चन
- बीस / हरिवंशराय बच्चन
- था तुम्हें मैंने रुलाया / हरिवंशराय बच्चन
- स्वप्न भी छल / हरिवंशराय बच्चन