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बिजई / आशा राजकुमार

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हर साल हमार फरयारी में लावत रहा बिजई
गरीब माई के लड़का
लाल लाल फूल बिनल रुमाल हमार खात
मुड़ी हमार रहा छन्ना
भूल जात रही हमके ओही दिन बिदाई भी फरचारी है

चहता में लेथरान लगत रही हम लोग जइसे मेघा
लड़त रही हम लोग एक मछरी के पीछे
उ दिन के गतवान रहा बहुत जीव
झौंकल कुकुही कड़हिया मंे कूदे

आजा के खटिया पर सूतत रही हम दूनू
बात करत रही सैतान और भगवान के
आजी कमाड़ी लगे खड़ा होके कभी दोहा गावे
कभी हम लोग के माई बाप के गरियावे

नवरंगी चोराई हम, नाम लगे बिजई के
आजी आजा और बिजई सब भइल भगवान के पियारा
फल के पेड़ झुराइ गइल।