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आल्हा / तेज प्रसाद खेदू

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ओंमकार के सुमिरन करके, हृदय राखये माता का ध्यान
कथा बखानों सूरीनाम का, जिस पर हमरो है अभिमान
बड़े-बड़े हफसी पकड़ कर लाए, तबहुँ देश सुधर नहीं पाइ
कटी जंजीरी दासन के रे, मन्त्री दल रहे घबड़ाइ
खण्डर पड़ा था देश उजाड़ा, जब नहीं थे भारत के जवान
वही समया के बतिया दादा, मन इन बिका बजारी आम
विनय सुनाई जिया घबड़ाई, भारत माता करो सहाय

लाज रखलो संकट तारो, कुछ बीरन को दे पठाई
सुनी विनय को करी तयारी, चले कमासुत चढ़े जहाज
कटी उदासी सभी परनासी, राख लिहिन सूरीनाम के लाज
हाथ गहे जब कटलिस सब्बल, मंजन अडुरिन दाँत चबाइ
पाँच वर्ष का गिरमिट कटा, झेला बहुत मुसीबत आय
तब करो तयारी भारत के रे, रूसफैल कहत दाँत चबाइ
मत जावो बाबा अबही, खेती करो बरस दुई चार
बिगहा पाँच खेत दीन्हा, रुपिया सौ दिया खजाना खोल
लालच में पड़ के बाप हमार, त्यागे भारत देश अनमोल
अब यहाँ की बतियाँ यहीं छोड़ो, और आगे के सुनो हवाल
जंगल काट के मकई लगाई, मछरिन पेटी दिहिन खोदवाई
लकड़ी बटोर के कोईला जलाई, भट्टा पर बाना दिहिन लगाई
जगह-जगह पर धान मीरा, मोटर सभी लिहिन अपनाई
तरह-तरह के सौदा धरी साजे, तन्ता घर नित रहे पहुँचाई
कितने कमासुत रुपिया बटोरे, सौ पे नोताराम मिरन्दा जाई
बार बार उन्हें बताई चेताबे, तुम्हरों रुपिया न जय्ये नशाई
समय पाई के सोचे मिरन्दा, शुभ अवसर मिला है आय
किया दिवाला तुम्हरे खजनवा पर, देश रहे सन्हाटा खाय।