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दोस्ती / सुशीला सुक्खु

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प्यार को मत समझो पूरा
उसका पहला अक्षर ही है अधूरा
अगर करना है सच्चा प्यार
तो बन पहले एक दूसरे का यार।
दोस्ती हर बन्धन से मजबूत होती है
दोस्ती मन का सम्बन्ध होती है
जिसमें स्वेच्छा से त्याग की भावना होती है।
दुनिया में हर रिश्ते-नाते
समय के साथ बदलते हैं
मगर सच्ची दोस्ती उम्र भर चलती है।
सच्ची दोस्ती में हर एक रिश्ता मिल जाता है
मगर
हर रिश्ते में दोस्ती नहीं मिलती।
दोस्ती
दो के बीच समता और एकता
जो सुख दुख में भी निभाया जाता।
सच्ची दोस्ती में न दूरी
न नजदीकी है जरूरी
हर हाल में पक्की बनी रहती है
जो करते हैं
वे समझें मेरी बात
न मोहब्बत, न इजहार
पहले दोस्ती करो
फिर प्यार।