Last modified on 5 जून 2017, at 17:05

अखबार / प्रदीप प्रभात

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:05, 5 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रदीप प्रभात |अनुवादक= |संग्रह= }} {...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अखबार पढ़ै बक्ती
बाबूजी के नजरों मेॅ
अखबार रोॅ उपयोगिता
खाली दुर्घटना लेली
कैहिनेॅ कि
बेटा गेलोॅ छै शहर
सामान लानै लेॅ
काल जे बेटी रोॅ बीहा छेकै।
तखनिये, अखबार रोॅ कोना मेॅ
पड़ै छै नजर
बेटा रोॅ लहास
पड़लोॅ छै सड़कों पर।
दू गाड़ी रेॉ टक्कर मेॅ
गेलोॅ छै अनगिनती जान
हे खुदा!
आय जाय लेॅ लागतै
लहास लानै लेॅ
काल होना छेलै बेटी के बीहा
आरो आय बेटा जे राखलोॅ जैत्तै कब्र मेॅ
अन्तर कुछिवेॅ नै पड़लै
बेटी-बेटा रोॅ विदाय मेॅ।
काल होतियै निकाह बेटी के
आरो आय बेटा रोॅ कब्र मेॅ समर्पण।