Last modified on 22 जून 2017, at 18:32

विधवा / नवीन ठाकुर ‘संधि’

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:32, 22 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नवीन ठाकुर 'संधि' |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हे पति!
हमरोॅ की गति?

तोहें तेॅ गेल्हेॅ गुजरी,
हम्में गेल्हाँ उजरी।
सब्भेॅ हँसै छै,
व्यंग कसै छै।
हमरोॅ यहेॅ छति,

हमरा छै बुतरू रोॅ दया-माया,
ओकरा जिनगी प्रेतोॅ के साया।
छोटोॅ ललना छै,
एकरा पालना छै।
यही में बिचरै छै मति

येंत्तेॅ जानतलियै,
हम्मूँ जलतलियै।
अत्तेॅ कानै रोॅ काम नै छेलै,
हम्मूँ होतियै सती।
हे पति!
...?

है दल-दल सें बचतौं,
दुनियॉय बदनाम करतौं।
हमरोॅ कोनोॅ उपाय नै,
एकरा में हमरा बफाय नै।
हे "संधि" जग के अंतनति।
हे पति! हमरोॅ की गति?