Last modified on 23 जून 2017, at 15:44

तुम्हीं याद आए भुलाने से पहिले / बलबीर सिंह 'रंग'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:44, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बलबीर सिंह 'रंग' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

तुम्हीं याद आए भुलाने से पहिले,
भुलाने से क्या भूल जाने से पहिले।

फ़लक़ की निगाहें ठहरती नहीं हैं,
यह क्या कर दिया मुस्कराने से पहिले।

वहाँ आती जाती रही सारी दुनिया,
मगर हम न पहुँचे बुलाने से पहिले।

जहाँ ग़म के मारों की महफ़िल लगी हो,
वहाँ बंदा हाज़िर बुलाने से पहिले।

अनादिल की बदकिस्मती कोई देखे,
क़फस मिल गया आशियाने से पहिले।

ये साक़ी की दरियादिली तोबा तोबा,
सुराही उलट दी पिलाने से पहिले।

न होती शिकायत हमें तुमसे लेकिन,
मोहब्बत हुई आज़माने से पहिले।

इसे ‘रंग’ कब मानने हैं तरन्नुम,
ग़ज़ल गुनगुना दी सुनाने से पहिले।