Last modified on 23 जून 2017, at 15:58

रवि, शशि, तारक तुम्हारी चारु-चितवन में / बलबीर सिंह 'रंग'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:58, 23 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बलबीर सिंह 'रंग' |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

रवि, शशि, तारक तुम्हारी चारु-चितवन में,
सृष्टि एक रचना है कौतुक तिहारे की।
प्रलय-प्रभंजन में प्राणों के पंछियों को,
झाँकी दिखलाते भव-सिन्धु के किनारे की।
कल परसों की बात गणिका अजामिल की,
चर्चा बड़ी है गजराज के उबारे की।
हाथ थाम लेना बदनाम कर देना मत,
लाज रख लेना नाथ नाम के पुकारे की।