बरसों से बंद पड़ी हवेली में
कोई नहीं आया था
एक दिन आई आंधी
उसके साथ आई धूल
सूखे हुए पत्ते और तिनके और काग़ज़ के टुकड़े
पूरी हवेली एक अजीब ताज़गी से भर गई।
बरसों से बंद पड़ी हवेली में
कोई नहीं आया था
एक दिन आई आंधी
उसके साथ आई धूल
सूखे हुए पत्ते और तिनके और काग़ज़ के टुकड़े
पूरी हवेली एक अजीब ताज़गी से भर गई।