Last modified on 27 जून 2017, at 10:53

सीढ़ी / अमरजीत कौंके

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 10:53, 27 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अमरजीत कौंके |अनुवादक= |संग्रह=बन...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत लोगों ने
सीढ़ी समझ लिया मुझे

मेरे एक डँडे पर पैर रखते
ऊपर चढ़ते
होंठों में हलका सा मुस्कुराते

दूसरे पर पैर रखते
तो और विश्वास में
अगले डँडे को पकड़ते

मेरी अज्ञानता पर दया करते
होंठों पर
शैतानी मुस्कान सजाते

फिर अगला और
उस से अगला डँडा
जैसे ही लेकिन
आखरी डँडे पर पैर रखते
ऊपर देखते
सामने मैं खड़ा होता
अटल
मुस्कराता।