माँ
बचपन में
सुनाया करती थी
पुरुषों की बेवफाई के किस्से
ताकि बेटियाँ
प्रेम न करें
माँ किशोर- वय में ही
कर देती थी शादियाँ
बेटियाँ
ऊँच-नीच न करें
माँ सुनाती रहती थी
सतियों के किस्से
कि बेटियाँ
पति को परमेश्वर समझें
और उसके बेटों का
सिर ऊँचा रखें।