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अकड-जकड / रेखा चमोली

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साथी ऐसी भी क्या अकड
जरा सी लचक से टूट जाओ
घायल ही कर दो उसे
जो किसी से टकराओ

ऐसी भी क्या जकड
ब्ंादी बना लो खुद को
अपनी आत्मा को गिरवी रख
कठपुतली बन जाओ

तुम्हारी सुविधा पर कोई प्रश्न उठाए
भौं भौं कर काटने दौडो
दूसरे का हिस्सा मारने को
सींग ताने रखो

लोेकतंत्र का गाना गाओ तानाशाही बजाओ
कोई तुम्हें कुछ कह न सके
तुम्हारा खेल बिगाड न सके
इसी जुगाड में जीवन बिताओ।