Last modified on 29 जून 2017, at 17:02

दशहरा / योगेन्द्र दत्त शर्मा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:02, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेन्द्र दत्त शर्मा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आता है हर बार दशहरा,
हम सबका त्योहार दशहरा!

जब भी आता है, लाता है,
मस्ती का अंबार दशहरा!

इसे विजयदशमी भी कहते,
है सुख का आधार दशहरा।

विजय राम की घोषित करता,
रावण का संहार दशहरा!

सीता बंधनमुक्त हो गई,
यही बड़ा उपहार दशहरा!

करता है लक्ष्मण के मन में,
खुशियों का संचार दशहरा!

मेघनाद का, कुंभकर्ण का
करता बंटाढार दशहरा!

धर्मपरायण भक्तजनों का
करता बेड़ा पार दशहरा!

भोले-भाले इंसानों पर
सदा लुटाता प्यार दशहरा!

नैतिकता, आदर्श जीतते,
यही बताता सार दशहरा!