Last modified on 29 जून 2017, at 17:06

चाँदनी / योगेन्द्र दत्त शर्मा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:06, 29 जून 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेन्द्र दत्त शर्मा |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

पास आ जा तनिक तो, अरी चाँदनी!
तू बिना बात किससे डरी, चाँदनी!

खेत, पगडंडियों पर
फिसलती रही,
घास पर लेट
करवट बदलती रही।

यह अँधेरा घना
इस तरफ है तना,
कर इसे दूर, जादू-भरी चाँदनी!

प्यार से छू रही
फूल की पाँखुरी,
घाटियों में बजाने लगी बाँसुरी।

यह नरम-सी छुअन
कँपकँपाता बदन,
कर रही खूब कारीगरी, चाँदनी!

उड़ गई दूर तू
बाँस-वन पार कर,
मैं खड़ा रह गया
सिर्फ मन मारकर।

यह अनोखी चमक
यह रुपहली दमक,
तू मुझे लग रही है परी, चाँदनी!

हाल अपना सुना
बात तो कुछ बता,
तू लिखा दे मुझे
आज अपना पता।

यों न छिप, पास आ
प्यार के गीत गा,
रूठ ऐसे न तू, बावरी चाँदनी!