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चिड़िया / योगेन्द्र दत्त शर्मा

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बैठ आँगन में
मेरे सामने
गाती चिड़िया,
पूरी दुनिया की
खबर मुझको
सुनाती चिड़िया!

पेड़ की डाल से
उड़ती है तो
छत पर आती,
फिर चहकती है
मुझे पास
बुलाती चिड़िया!

वो फुदकती है
लुभाती है मुझे
रह-रह कर,
मैं न आऊँ
तो मुझे खूब
रिझाती चिड़िया!

तिनके चुनती है
मगर थकती नहीं है
बिलकुल,
घोंसला शान से
चुपचाप
बनाती चिड़िया!

मैं खिलाता हूँ
उसे दाल के दाने
लेकिन,
जब पकड़ता हूँ
तो फिर हाथ
न आती चिड़िया!