Last modified on 3 जुलाई 2017, at 22:49

शायद / रंजना जायसवाल

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:49, 3 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रंजना जायसवाल |अनुवादक= |संग्रह=ज...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

हतप्रभ
देख रहा है अतीत –
कंधों पर जिसके
टंगा है भविष्य
और जो
हताश
निराश और
लहूलुहान है
शायद वर्तमान है