Last modified on 10 जुलाई 2017, at 13:04

हमरोॅ आजादी / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:04, 10 जुलाई 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी' |अनुवाद...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

खुल्लम-खुल्ला ई आजादी
अपनऽ रूप संवारै छै
जेकरा चाहै जन्नें चाहै
मौत के घाट उतारै छै।

केकरो साया, केकरो चोली
केकरो देह उघारै छै
बलात्कार-अपहरण के आगू
के-के कहाँ नकारै छै।

ई घुसखोरी सर पर नाची
उलटे टांग पसारै छै
थुक्कम-फजीहत, उटक-पैंची
के नाय यहाँ सकारै छै।

डेगे-डेगे बाँटे-बखरा
छौंकी बात बघारै छै
नून-तेल हरदियो मसाला
रगड़ी सर हंकारै छै।

जन्नेॅ देखऽ, जन्नेॅ चाहऽ
सगठॅ आय ललकारे छै
केकरा कौनें ई आफत सें
कौने कहाँ उबारै छै।