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भाग्य / राजेश शर्मा ‘बेक़दरा’

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बीज खुद में समेटे हैं पूरा वृक्ष
तना,
पत्ते,
फल,
बीज,
छाया,
अंकुरण उसका भाग्य
तुम में भी बिखेरे हैं
मैने प्रेम बीज
प्रेम,
प्रतीक्षा,
आलिंगन...
मेरा भाग्य