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राम-लीला गान / 1 / भिखारी ठाकुर

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(तुलसीकृत ‘रामचरित मानस’ के आठ कांड के महातम)

दोहा:

बाल, अजोध्या, आरन्य, किस्किंधा अधखंड।
सुंदर, लंका, उत्तर, लवकुस अष्टम काण्ड॥

प्रसंग:

संक्षेप में संपूर्ण रामकथा का परिचयात्मक क्रमिक कथन।

कजरी लय में

भगवान, भगवान, भगवान, भगवान! ।टेक।
रामजी धइलन मनुष्य अवतार, राजा दसरथ का दरबार;
जानल बालक, बूढ़, जवान, भगवान भगवान!
तब फिर धनुस-बान लेकर, गइलन मुनि साथ बक्सर;
कइलन राक्षस के हलकान, भगवान, भगवान!
उहाँ से जा के अहिल्या पास, मालिक चरन छुआ कर खास;
करि के गंगाजी असनान, भगवान, भगवान!
तूरलन चाप जनकपुर जाई, सुंदर लगन-महूरत पाई;
भइलन सादी-मड़वान, भगवान, भगवान!
करि के अवधपुरी में बास, तेकरा बाद भइल बनवास;
चललन मगन होकर मस्तान, भगवान, भगवान!
तीनों मूरत उतर कर घाट, बनवलन साधुजी के ठाट;
फिरता भइलन कोचवान, भगवान, भगवान!
सुमंतजी कहलन सारी हाल, सोक से बिकल होकर नर-पाल;
तेजलन प्रेम में परान, भगवान, भगवान!
भरतजी आके कइलन काम, मँगाकर किरिया के सरजाम;
कइलन दान बहुत सनमान, भगवान, भगवान!
परजा साथ सहित रनिवास, जाके कइलन उहाँ निवास;
जहँवाँ अलख पुरुष निरबान, भगवान, भगवान!
लवटलन नर-नारी सब धाम, कदम बढ़वलन सीताराम;
तनिको कहल ना कइलन कान, भगवान, भगवान!
मरलन मिरिगा सोना कर, सीता-हरन तेहि अवसर;
जटायु लिहलन जुद्ध ठान, भगवान, भगवान!
जागल सेवरी के भाग, पंपापुर के मन लाग
बध के बाली बलवान, भगवान, भगवान!
छूटल बानर के गन, जहाँ-तहाँ सनासन;
खोजि लेलन हनुमान, भगवान, भगवान!
सेतु बान्हि कर सागर, गढ़ लंका जाकर;
तरलन रावन के खन्दान, भगवान, भगवान!
आके कइलन गद्दी पर राज, सीता परिजन सहित समाज;
जनम-धरती के स्थान, भगवान, भगवान!
सुनि के रजक के बात, पत्नी के साथ भ्रात;
भेजि के भइलन दीवान, भगवान, भगवान!
छोड़ि के अइलन लखन, बीचे बिपिन सघन;
छाती करि के पाषान, भगवान, भगवान!
भइलन ईस्वर जी, खुस, होइ गइलन लव-कुस;
बल-बुद्धि बे-परमान, भगवान, भगवान!
पी के मइया के दूध, कइलन बाबू से युद्ध;
पीछे भइल पहचान, भगवान, भगवान!
देके बबुअन के धीर, जाके सरजू के तीर;
होइ गइलन निरबान, भगवान, भगवान!
लागल चरन में आस, रहब दिन-रात पास;
दास करत ‘भिखारी’ गान, भगवान, भगवान!