प्रसंग:
विवाह के बाद मिथिला की नारियाँ राम जी के लिए गारी गा रही हैं।
सुनहु राम दुलह मनभावन पावन रूप तिहारी जी।
पर एक बात सुनि हम ऐसी माई तुम्हार छिनारी जी।
बहिनी तुम्हार नाम शान्ता देइ सो सन्तन सुखकारी जी।
मुनि विमाण्ड के पुत्र शृंगि रिषि तिनके संग सिधारी जी।