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राम-लीला गान / 43 / भिखारी ठाकुर

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जनकजी की वंशावली

रामजी सीताजी के विवाह में सतानन्दजी के तरफ से शाखोच्चारण। श्री विष्णु भगवान के नाभि से कमल। कमल से ब्रह्मा, ब्रह्मा से मारीच, मारीच से मश्यप, कश्यप से सूर्य,सूर्य से वैवश्तमनु (विवस्वत मनु), वैवश्वत मनु से निमि, निमि से मिथि, मिथि से जनक, जनक से उदाये, उदाये से नन्दीवर्द्धन, नन्दीवर्द्धन से सुकेतु, सुकेतु से देवरात, देवरात से वृहद्रथ, वृहद्रथ से महावीर, महावीर से शुद्धति, शुद्धति से धृतकेतु, धृतकेतु से हरे महेश्वर, हरमहेश्वर से मरू, मरू से प्रतिबंधक, प्रतिबंधक से कृतरथ, कृतरथ से देवमिण्ड, देवमिण्ड से विवुध, विवुध से महीधर, से कृतिरात, कृतिरात से महारोम, महारोम से कनकरोम, कनकरोम से हर्षरोम, हर्षरोम से बेटा बड़ा राजा जनक, छोटा कृशकेतु। कृशकेतु के दो कन्यायें। जनकजी की सीताजी और उर्मिला, राजा कृशकेतु की माण्डवी और श्रुतिकीरति। रामजी का सीताजी से, लक्ष्मण जी का उर्मिला से, भरतजी का माण्डवी से, शत्रुघ्नजी का श्रुतिकीर्ति से विवाह किया गया। वर कन्या चिरजीवी।

वार्तिक:

राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न एक बार प्रकट हुए। केवल राम नाम सत्य है कहा जाता है। लेकिन उन तीनों का नाम उचारन नहीं किया जाता है। इसकी वजह तुलसीकृत ‘रामचरित मानस’ के बालकाण्ड की आकाशवाणी से मालूम होती है। चौपाई इस प्रकार है-

जनि डरपहु मुनि सिद्ध सुरेसा, तुम्हहि लागि धरिहौं नर-वेसा।
बा. क. 181

वार्तिक:

एह देश में रामावतार भइलन। राजा दशरथ जी का खनदान में जब 67 पुस्त सत्य बचन बोलल लोग। सत्य बचन के वास्ते राजा हरिश्चन्द्र मुर्दघटिया में विकइलन।

सत्य वचन का कारण राजा दशरथ जी बेटा त्याग देलन। अइसन 67 आदमी भइल। मालूम होला जे एह खानदान में रामजी अवतार लेलन हा। मर गइला पर हमनी का कहीला राम नाम सत्य है। मालूम होला जे 67 पुस्त के पुन्य के सत रामजी हवन। ओह खानदान में राजा दशरथ दुगो, एक राजा दशरथ जी जेकर वेटा रामजी और एगो राजा दशरथ जी अउरू पहिले भइल रहन। एह खानदान में राजा दशरथ जी अउर एही सडसढ पुस्त खनदान में विश्वरन्धी के जरिये मालूम होखेला जे बिसहरिया राजपूत बाबू लोग ह।

दोहा

विश्व रूधी का जर से विसहरिया राजपूत,
कुतुबपुर के कहत भिखारी बारह पीढी सबूत।

रजा जनक जी के खनदान में जानकी जी अवतार लेली हा। एक राजा जनक पहिले रहलन हा। राजा निमि का बाद रहलन हा। विष्णु भगवान के नाभि से कमल। एक जगह सड़सठ पुस्त पर राम के अवतार आ तीस पुस्त पर जानकी जी के अवतार भइल बा।

चौपाई

राम नाम के भक्त जगत से तरि जालन तत्काल।
कुतुबपुर के कहत ‘भिखारी’, बूढ़-जवान-बाल॥
एक सौ एक चौबीस पीढ़ी, विस सोलह षट दून।
एकादश राम नाम के कहत भिखारी गुन।
एक सौ चउरानबे भइलन, कहत ‘भिखारी’ पीढ़ी तर गइलन॥