Last modified on 20 नवम्बर 2017, at 16:23

संसार को पूरी तरह देखने के लिए / इंदुशेखर तत्पुरुष

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:23, 20 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

बहुत बारीकी से देखने के लिए
जमानी पड़ती है अकेली आँख लैंस पर
दूसरी आँख की यहां जरूरत नहीं होती
जैसे लक्ष्यभेद के लिए निशाना
साधता तीरंदाज
मींच लेता है दूसरी आँख।

पूरा संसार देखा जा सकता है
अकेली आँख से
पर संसार को पूरी तरह देखने के लिए
चाहिए दो आँख-अम्लान