बहुत बारीकी से देखने के लिए
जमानी पड़ती है अकेली आँख लैंस पर
दूसरी आँख की यहां जरूरत नहीं होती
जैसे लक्ष्यभेद के लिए निशाना
साधता तीरंदाज
मींच लेता है दूसरी आँख।
पूरा संसार देखा जा सकता है
अकेली आँख से
पर संसार को पूरी तरह देखने के लिए
चाहिए दो आँख-अम्लान