Last modified on 26 दिसम्बर 2017, at 19:30

कल्प-विकल्प : छह / इंदुशेखर तत्पुरुष

आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:30, 26 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=इंदुशेखर तत्पुरुष |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ये तुम्हारी किस्मत है प्यारे ईश्वर!
कि एक प्याला कड़क चाय की ताज़गी
देह के स्पर्श की आंच
रोटी का भराव आकंठ पेट में
सम्मान पत्रों की रुपहली कलई
उतर जाती... थोड़ी ही देर में
और गहृर-गर्त, मन के-प्राण के
रह जाते खाली के खाली
वर्ना, पूछता ही कौन तुमको!

सच बताऊं
तुम्हारी जगह मैं होता
तो कविता से कुछ न कुछ ईर्ष्या तो
जरूर रखता।