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तनहाई / सरोज सिंह

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शाम बारिशों में तो रात बूँदों में
किसी तूल कट ही गयी
आज फिर सहर ने
कोहरे की लिहाफ से
ज़बरन दिन को जगाया है
गूंगे दिन ने फिर
भीड़ में...तनहाई दोहराई हैl