Last modified on 23 जनवरी 2018, at 22:19

माघ महिनवा / सरोज सिंह

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 22:19, 23 जनवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सरोज सिंह |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatBhojpu...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सखी! माघ महिनवा अमवा मउराला
देख त कईसन सवनवा बउराईल
अब हम फगुआ के फाग सुनाईं
के असो बईठ के कजरी गाईं
मारsता करेजवा में जोर हो रामा, माघ के महिनsवा
सखी,माघ महिनवा सरसों पियराला
देख त कईसन इ,घाटा घिर आईल
 अब हम आपन खेत सरियाईं
के सरसों के फर फरीयाईं
भीजsता अचरवा के कोर हो रामा, माघ के महिनsवा
सखी, माघ महिनsवा के घाम सोहाला
देख त कईसन झटास भर आईल
कैसे सुरुज के हम जलवा चढाई
कैसे फूलगेंदवा के झरला से बचाईं
देहिया सिहराला पोरे पोर हो रामा, माघ के महीनsवा