Last modified on 26 जनवरी 2018, at 16:23

सुनो सैनिको! / निरुपमा सिन्हा

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:23, 26 जनवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=निरुपमा सिन्हा |अनुवादक= |संग्रह= }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुनो सैनिको!!
तुम ऐसे मौसम में शहीद न हुआ करो
जब हम मना रहे हो वसंतोत्सव!
हम सब तुमसे बहुत करते हैं
प्रेम
हाँ ... ...
वैलेंटाइन डे बीत जाने दो
फिर हमारे पास फूल ही फूल होंगे
तुम्हारी समाधि पर चढाने के लिए
तुम्हें करनी होगी प्रतीक्षा
हमारी
देश के प्रति उमड़ते भावों की
जो उठते है
15 अगस्त को
खत्म हो जातें हैं
26 जनवरी तक आते आते
सुनो तुम
सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों!
कि
हमारे त्योहारों हमारी खुशियों के बीच
कोई युद्ध घोषणा न करना
चुपचाप हो जाना सीमा पर बर्फ में दफ़न!
हमारे पास तुम्हारे लिए संवेदनाओं की
खोखली रायफलें है
जिसे अक्सर हम
तुम्हारी ज़मीर पर लगा
दागते रहने का करते हैं अभ्यास!
सुनो सैनिकों
कि
तुम सोच समझ कर हुआ करो
शहीद!