रे मन, तूने ना मानी हार! घाव लगा बार बार, फिर भी,रे मन, तूने ना मानी हार ! हर प्रहार सह चुका, सुख दुख से दह चुका, जन्म मरण देख चुका, जीवन के प्राँगण मेँ रम चुका, हे मन ! तूने ना मानी हार! भाई बँधु, प्रेम मध,माया विश्वास बिछोह, भोग चुका, छोड चुका, टूट गिरा जीवनका बेर ! कितनी ही बेर ! हे मन ! तूने ना मानी हार! सोम रस , हलाहल, आज हँसी कल रुदन, जीवनके मरुस्थल मेँ,या की नँदनवन मेँ, कर रहा प्रसार ! तूने ना मानी हार! हे मन ! तूने ना मानी हार!