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स्थगित प्रतीक्षा / मृदुला शुक्ला

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सुदूर पहाड़ी
नीरव एकांत
आखिरी रेलवे स्टेशन
हिचकियाँ ले लेकर रोता है
रात भर
इस सूचना से
स्थगित कर दी गयी है
शाम को आने वाली
इकलौती रेलगाड़ी

वो जीता है
इक्के दुक्के
उतरने वाले यात्रियों के
चेहरे की अकुलाहट
जल्दी घर पहुँचने की

पहर भर उदास रहता है
जब गाडी के चले जाने पर
हाथ हिलाता मुसाफिर
गाडी में बैठ कर भी
आधा रह जाता है वहीँ
उतर कर
खिडकियों के रास्ते

गार्ड की हरी लाल झंडिया
स्टशन पर बजने वाला घड़ियाल
सिग्नल की जलती बुझती बत्तियां
चाय वालों के चाय गरम
के समवेत स्वर
पड़ाव होते है
उसकी प्रतीक्षा यात्रा में

वो जीवित रहता है
प्रतीक्षा में, मेरी तरह
वो भी भली भांति जानता
है स्थगित प्रतीक्षा का सही अर्थ