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साँस साँस से जुड़ा है / निवेदिता झा

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साँस साँस से जुड़ा है वाह-वाह वाह
ज़िन्दगी का फ़लसफ़ा है वाह-वाह वाह

शह न कोई मात कोई गैर अब नहीं
सबका सबसे वास्ता है वाह-वाह वाह

तुम मिलो तो मन्ज़िलों की चाह ही नहीं
मैं हूँ तुम हो रास्ता है वाह-वाह वाह

बेटियों से रौनक़ें हैं घर की द्वार की
नेमतों का ये सिला है वाह-वाह वाह

रात भी है चांद भी है और तुम हो साथ
गुनगुनाती-सी हवा है वाह-वाह वाह

कोई अब तो मान लो निवी की बात को
अब तो जग भी कह रहा है वाह-वाह वाह!।