Last modified on 13 अप्रैल 2018, at 17:01

कंप्यूटर / योगेन्द्र दत्त शर्मा

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:01, 13 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=योगेन्द्र दत्त शर्मा |अनुवादक= |...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

वह चाह रहा है
मैं कंप्यूटर बन जाऊं,
मैं हाड़-मांस का पुतला हूं
यह तथ्य उसे स्वीकार नहीं
मेरा हर संवेदन नकार
वह तुला हुआ है
मुझे मशीन बनाने पर!

बस, यही सोचता है
कंप्यूटर बन जाऊं
कर डालूं सारे गुणा-भाग, सब जोड़-घटा
तैयार आंकड़े भी उसके आगे रख दूं
या निखिल बनर्जी का सितार
बेगम अख्तर की ग़ज़ल उसे सुनवा डालूं
वह थक जाये तो उसका माथा सहलाऊं
कुछ प्यार करूं, बोलं-बतियाऊं, बहलाऊं
हर चीज सुरक्षित रख लूं मैं ‘मैमोरी’ में
जब उसका दिल चाहे तब उसको पेश करूं!

यह सब कुछ है स्वीकार मुझे
पर एक बड़ी कठिनाई है-
वह बस ‘कमांड’ ही देता है
लेकिन कुछ ‘फीड’ नहीं करता!