Last modified on 16 अप्रैल 2018, at 13:03

देश की माटी/ अनन्या गौड़

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:03, 16 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनन्या गौड़ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

माटी से देश की नहीं ऊँचा कोई सम्मान है
यही तो हमारी रोज़ी रोटी यही बस ईमान है।

देखे हैं वतन यूँ तो कई हमने पूरी दुनिया में
जुदा मगर सबसे यही हमारा हिंदुस्तान है।

 चरन पखारे इसके, नदियाँ ये पावन कितनी
धरती ये वीरों की, हम इस पर कुर्बान हैं।

हुए शहीद कितने कि इस पर आंच न आए
कुरुक्षेत्र हल्दीघाटी अमिट इसकी पहचान हैं।