बहुत प्रतीक्षा की
सड़क ने
अपना कोई
आन मिले
भूला कोई
संग चले
बिछुड़ा कोई
गले लगे
मीलों के पत्थर
गड़े रहे
बिजली के खंबे
तने रहे
जितने-जितने वृक्ष वहाँ थे
वहीं-वहीं सब
अड़े रहे
बहुत प्रतीक्षा की
सड़क ने
अपना कोई
आन मिले
भूला कोई
संग चले
बिछुड़ा कोई
गले लगे
मीलों के पत्थर
गड़े रहे
बिजली के खंबे
तने रहे
जितने-जितने वृक्ष वहाँ थे
वहीं-वहीं सब
अड़े रहे