Last modified on 16 अप्रैल 2018, at 18:34

वागार्थ / सुनीता जैन

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:34, 16 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुनीता जैन |अनुवादक= |संग्रह=यह कव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

एक पके फल-सा
रसमय शब्द
खोजती रहती है
रसना
जो भले कुछ न कहे
पर संवेद में
पूरा उतर जाए

एक थिरक लय की
खोजती रहती हैं
उँगलियाँ
जो भले ही
सुनाई न दे
पर साँसों में
ताल-सी
बज जाए

एक वागर्थ
ढूँढ़ती रहती हैं
आँखों की
पुतलियाँ
जो हथेलियों-सा
कहने और सहने को
सम्पुट
कर जाए