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टिड्डी / सुनीता जैन

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जिस दौर में,
कविता से नहीं,
पुरस्कार से,
होता बड़ा कवि-

उस दौर की,
अमराई सारी
सूख गयीं

कोयल अंतिम
कूक गयीं

कौए चुग गये
मुक्ता सारे

टिड्डी चुग-चुग
खेत गयीं।