इस बहके से मौसम, मितवा
बहकी-सी
मनुहार तो हो
थिरक रहा है केकी, किंतु
सखा कहीं पे
पास तो हो
नहीं पास में यदि पियरवा
आने की कुछ
आस तो हो
इस बहके से मौसम, मितवा
बहकी-सी
मनुहार तो हो
थिरक रहा है केकी, किंतु
सखा कहीं पे
पास तो हो
नहीं पास में यदि पियरवा
आने की कुछ
आस तो हो