हवाएँ ये
नरम बिस्तर की
पहली
शीतल छुअन-सी
तुम्हारे भी तो
घर बही होंगी
तुम्हें भी
याद आये क्या
रजाई से गरमाये
देह-स्पर्श
अपने?
हवाएँ ये
नरम बिस्तर की
पहली
शीतल छुअन-सी
तुम्हारे भी तो
घर बही होंगी
तुम्हें भी
याद आये क्या
रजाई से गरमाये
देह-स्पर्श
अपने?