Last modified on 13 मई 2018, at 23:38

आज अपने आपसे / नईम

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 23:38, 13 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नईम |अनुवादक= |संग्रह=पहला दिन मेर...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आज अपने आपसे हम डर गए।
आइना क्या सामने तुम धर गए!

कनपटी के बाल-
नक्शे झुर्रियों के-

एक लम्बी जिं़दगी कम कर गए।
झुक गए कंधे-
उमर के बोझ से,
मौत से पहले अचानक मर गए।

हम मचानों पर-
बँधे देखा किए,
पशु बनैले खड़ी फसलें चर गए।

साँप भीतर सिर-
उठाए हैं अभी,
पाहुने आए पलटकर घर गए।

रास्ता रोके खड़ीं-
वंध्या हवाएँ,
फूल-फूले चार दिन में झर गए।
आज अपने आपसे हम डर गए।