पानी बाबा आया
ककड़ी-भुट्टे लाया,
पानी बाबा आया।
नंग-धड़ंग फरिश्ते,
जाने कौन दिशा से,
भरते वो किलकारी
घर-आँगन में उतरे;
धरती धानी लाया,
पानी बाबा आया।
नन्हे-नन्हे बच्चे,
बाबा बूढ़ा बादल;
आँज रहा आँखों में
ठंडा-ठंडा काजल;
गलियों, चौपालों में
काशी-काबा लाया,
पानी बाबा आया
जात न पूछो ज्ञानी
नानी होती नानी;
पानी का क्या मजहब
पानी तो बस पानी।
बहुत दूर की लाया
कौड़ी कानी लाया।
पानी बाबा आया।