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त लागल हमरा वसंत आएल / हम्मर लेहू तोहर देह / भावना

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महुआ रसाके चुए लागल
बाग में कोयलिया बोले लागल
बउराके मन जब झूमे लागल
त लागल हमरा वसंत आएल।

आम के पेड़ मजर गेलक
फूल पराग से भर गेलक
लीची फरल घंऊछे-घंऊछे
त लागल हमरा वसंत आएल।

मन हम्मर नाचे भंओरा संगे
तितली जइसन उड़े अकास
फगुआ में जब फाग सुनली
त लागल हमरा वसंत आएल।

जारा से ठिठुराएल तन-मन
रउदा में हुलसल हरसाएल
बउराएल हवा हमरा बउड़एलक
त लागल हमरा वसंत आएल।