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नेक इलाज / बालकृष्ण गर्ग

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भीग गया वर्षा में रीछ,
आई तभी छींक-पर-छींक।
हुआ तेज सरदर्द, जुकाम,
खूब मली तब उसने ‘बाम’।

किया दोक्टर ने जब चेक,
नेक इलाज बताया एक-
‘मिट जाए सारा जंजाल,
कटवा लो यदि अपने बाल’।
      [रचना: 22 जून 1998]