Last modified on 22 मई 2018, at 14:34

‘बाई’ होली / बालकृष्ण गर्ग

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:34, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आई होली; छाई होली।
साल हुआ गुम, पाई होली।
फागुन ताऊ, ताई होली।
‘सूट’ वसंती, ‘टाई’ होली।
रंग हजामत, नाई होली।
नाच-तमाशा, गाई ‘होली’।
मौज-मजे है, भाई होली।
भंग-मिठाई लाई होली।
‘बाल’ गई भुन ‘बाई’ होली!
[बाल-भारती, मार्च 1982]