Last modified on 22 मई 2018, at 14:55

तितली से / बालकृष्ण गर्ग

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:55, 22 मई 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकृष्ण गर्ग |अनुवादक= |संग्रह=आ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

-’तितली रानी! चलीं कहाँ?’
-’जहाँ फूल, मैं चली वहाँ’।
-’फूलों से है क्या नाता?’।
-’उनका रस मुझको भाता’।
[जनसत्ता, 27 अक्तूबर 1996]


-’रंग-बिरंगी प्यारी तितली,
क्यों हो इतनी दुबली-पतली?’
-’कुदरत की मैं सुंदर रचना,
मोटापे से मुझको बचना’।
[रचना: 26 जून 1998]